जब सत्य प्रकाशमय हो
जब सत्य प्रकाशमय हो
अंधकार पर लगा विराम हो
द्वेष ,जलन ,ईर्ष्या से परे सब
मन मे प्रेम ,स्नेह भरा हो
उँच नीच भेदभाव भुलाकर
सबके लिये सदभाव हो
झूठ फरेब ,धोखो से दूर
बस सच्चाई और ईमान हो
किसी पथ न रोये अबला
हर नारी का सम्मान हो
पाप ,दुराचार से दूर होकर
सत्य,निष्ठा ही अपार हो
रावण रूपी भावनाओ का
अंत ही अब अंजाम हो
सत्य सदा विजयी रहे
असत्य का अस्तित्व समाप्त हो
बुरी भावनाओ का दहन करे
संकल्प ये मन में अपार हो
हर मन पुरूषोत्तम बने
सबके मन में राम हो ।।