जब वो सामने आता है
अच्छा लगता है देखकर तेरी तस्वीर भी
सुकून मिलता है मेरी इन आंखों को भी
जब भी आता है तेरा चेहरा सामने मेरे
देखकर उसे जाग जाती है सोई तकदीर भी।।
चेहरे तो देखें है मैने लाखों इस जहां में
लेकिन तुम सा कोई दिखा नहीं जहां में
मिलता है जो सुकून आकर तेरी बाहों में
ऐसा सुकून मिलता नहीं कहीं और जहां में।।
तेरी आवाज़ मुझे बहुत भा गई है
सुनकर इसे तेरी याद फिर आ गई है
न जाने कब आएगा तू मिलने मुझे
गर्मियों की वो शाम फिर आ गई है।।
मेरी ज़िंदगी बन गए हो तुम आज
मेरे दिल में बस गए हो तुम आज
दिख रहे है हज़ारों चेहरे महफिल में
क्यों नज़र नहीं आ रहे हो तुम आज।।
है सब दोस्त आज महफिल में
ढूंढ रही है नजरें तुम्हें जाने क्या बात है
समझो बैचैनी मेरी नज़रों की तुम
आई आज फिर महफिल की रात है।।
महसूस हो रहा अकेलापन यहां
महफिल में अकेले रहना भी अच्छा नहीं
जो आ जाए तू महफिल में अब
मेरे लिए इस बात से कुछ भी अच्छा नहीं।।
खिल उठेगा सारा समा आज यहां
जब तू महफिल में अपने कदम रखेगा
मिल जायेगा सुकून मेरी नज़रों को
जब बड़े दिनों बाद मेरा महबूब दिखेगा।।