Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Oct 2020 · 1 min read

“जब वो करीब आया करते थे”

फुरसत के हसीन लम्हें वो संग में बिताया करते थे।
अपनी जान कह मुझको वो अक्सर बुलाया करते थे।
सजते थे,संवारते थे,उनके नाम से कभी महकते थे।
वो लम्हें बड़े खूबसूरत थे जब वो करीब आया करते थे।

Language: Hindi
Tag: शेर
19 Likes · 13 Comments · 571 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
लोग कह रहे हैं राजनीति का चरित्र बिगड़ गया है…
लोग कह रहे हैं राजनीति का चरित्र बिगड़ गया है…
Anand Kumar
आपकी बुद्धिमत्ता को कभी भी एक बार में नहीं आंका जा सकता क्यो
आपकी बुद्धिमत्ता को कभी भी एक बार में नहीं आंका जा सकता क्यो
Rj Anand Prajapati
भारत का सिपाही
भारत का सिपाही
आनन्द मिश्र
हे पिता ! जबसे तुम चले गए ...( पिता दिवस पर विशेष)
हे पिता ! जबसे तुम चले गए ...( पिता दिवस पर विशेष)
ओनिका सेतिया 'अनु '
जिंदगी का सफर
जिंदगी का सफर
Gurdeep Saggu
*लफ्ज*
*लफ्ज*
Kumar Vikrant
खुद में, खुद को, खुद ब खुद ढूंढ़ लूंगा मैं,
खुद में, खुद को, खुद ब खुद ढूंढ़ लूंगा मैं,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
#शर्माजी के शब्द
#शर्माजी के शब्द
pravin sharma
पिता का यूं चले जाना,
पिता का यूं चले जाना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
फूल कुदरत का उपहार
फूल कुदरत का उपहार
Harish Chandra Pande
एक अच्छाई उसी तरह बुराई को मिटा
एक अच्छाई उसी तरह बुराई को मिटा
shabina. Naaz
जो दिल दरिया था उसे पत्थर कर लिया।
जो दिल दरिया था उसे पत्थर कर लिया।
Neelam Sharma
फैसला
फैसला
Dr. Kishan tandon kranti
अपमान
अपमान
Dr Parveen Thakur
हाजीपुर
हाजीपुर
Hajipur
dr arun kumar shastri
dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जिस भी समाज में भीष्म को निशस्त्र करने के लिए शकुनियों का प्
जिस भी समाज में भीष्म को निशस्त्र करने के लिए शकुनियों का प्
Sanjay ' शून्य'
मैं गलत नहीं हूँ
मैं गलत नहीं हूँ
Dr. Man Mohan Krishna
My Lord
My Lord
Kanchan Khanna
ओढ़े  के  भा  पहिने  के, तनिका ना सहूर बा।
ओढ़े के भा पहिने के, तनिका ना सहूर बा।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
#शुभ_दिवस
#शुभ_दिवस
*Author प्रणय प्रभात*
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
💐प्रेम कौतुक-553💐
💐प्रेम कौतुक-553💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
नौका को सिन्धु में उतारो
नौका को सिन्धु में उतारो
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
जिंदगी एक किराये का घर है।
जिंदगी एक किराये का घर है।
ज्ञानीचोर ज्ञानीचोर
दो साँसों के तीर पर,
दो साँसों के तीर पर,
sushil sarna
*धरती के सागर चरण, गिरि हैं शीश समान (कुंडलिया)*
*धरती के सागर चरण, गिरि हैं शीश समान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अपनी मर्ज़ी
अपनी मर्ज़ी
Dr fauzia Naseem shad
जो आपका गुस्सा सहन करके भी आपका ही साथ दें,
जो आपका गुस्सा सहन करके भी आपका ही साथ दें,
Ranjeet kumar patre
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
Loading...