जब मैं छोटा बच्चा था,
जब मैं छोटा बच्चा था,
बड़ी शरारत करता था ।
जब में छोटा बच्चा था ,
दादा जी लाठी लेकर,
बड़ी जूत्तियाँ पहनकर ,
नकल उनकी करता था ।
जब मैं छोटा बच्चा था ..
दादी माँ की ऐनक पहन ,
ज़ोरो से ऊँह-ऊँह करता था ,
जिसे देख सारा घर ज़ोरों से हँसता था ।
जब में छोटा बच्चा था…
पापा जी का बैग उठाकर,
ऑफिस-ऑफिस करता था ,
जिसे देखकर मम्मी मेरी ,
डंडी लेकर दौड़ा करती थी ।
जब में छोटा बच्चा था ..
घर में सबकी नकल मैं करता था ,
जिसे देख पूरा परिवार ,
ज़ोरों से हँसता था ।
अब मैं जब बड़ा हो गया ,
इन सब के लिए तरस गया ।
दादा-दादी, मम्मी-पापा के ,
लाड़-प्यार को तरस गया ।
अब न वो दिन ,
न वो रातें,
जिसमें करते थे ,
हँसी-मज़ाक, प्यार की बातें ..
जब मैं छोटा बच्चा था …
बच्चा था भई बच्चा था….
लेकिन मन का सच्चा था !!!!!