जब मिलते हैं यार
(१)
जब मिलते हैं यार ।
आ जाती हैं बहार ।।
होती हैं फिर कुछ बातें ।
याद रहती हैं मुलाकातें ।।
साथ जो भी पल बीते ।
कर याद फिर दोहराते ।।
उन्हीं गलियों से गुजरते ।
कर याद हम सुकून पाते ।।
खुशी के दीपक जलाते ।
हर पल साथ निभाते ।।
(२)
जब मिलते हैं यार ।
बातें करते हैं हजार ।।
याद करते हैं बचपन ।
बढ़ जाता अपनापन ।।
सीमित थी तब जरूरतें ।
असीमित थी शिकायतें ।।
देख देख एक दूजे को ।
चहुँओर खुशियाँ गूँजे ।।
अब यही मिले आशीष ।
खुश रखें सबको ईश ।।
(३)
जब जब मिलते हैं यार ।
खुशियाँ मिलती अपार ।।
मन में बसता एक चित्र ।
खुश रहें हमेशा मित्र ।।
यह रिश्ता हैं अटूट ।
जाएगा नहीं कभी टूट ।।
एक दूजे की खुशी को ।
बांट लेते हम हँसी को ।।
जग के यह रिश्ते ।
पाने को सब तरसते ।।
।।।जेपीएल।।।