जब देखा था तुम्हें
जब देखा था तुम्हें
सोचा था तुम्हारे बारे में
चाहा था तुम्हें
पर कहा नहीं तुमसे
अब सोचता हूं
गर कहा होता तो
क्या तुम साथ होती
उस वक्त शायद तुम्हें खोने का डर था
जिस वजह मैं चुप रह गया
पर मिली तो तुम अब भी नहीं और
शायद अब उम्मीद भी नहीं
पर इज़हार करने में आज भी
वो डर मेरे साथ है जो था उस वक्त भी
जब देखा था तुम्हें।।