जब तुम उसको नहीं पसन्द तो
शीर्षक – जब तुम उसक
जब तुम उसको नहीं पसन्द तो, क्यों उसको चाहते हो।
नहीं मानती जब वह बात तुम्हारी, क्यों उसको मनाते हो।।
जब तुम उसको नहीं पसन्द———————।।
माना कि तेरा प्यार है सच्चा, पाप नहीं तेरे मन में कोई।
सच्चे दिल से तू है वफ़ा, और धोखा नहीं है इसमें कोई।।
तुमसे नहीं जब वह वफ़ा तो, क्यों हाथ उससे मिलाते हो।
जब तुम उसको नहीं पसन्द ————————-।।
अपनों से क्यों उसके लिए, तुम तोड़ते हो रिश्तें अपने।
सच्चे अपने यारों को तुम, क्यों बनाते हो दुश्मन अपने।।
चाहती है वह खूं करना तुम्हारा, क्यों ख्वाब उसे सजाते हो।
जब तुम उसको नहीं पसन्द—————–।।
अब तक उससे तुमको मिला क्या, तोड़ा ही है दिल उसने।
तुमने दी है उसको खुशी हर, लेकिन तुम्हें नहीं दी उसने।।
आबाद तुम्हें वह नहीं करेगी, क्यों लहू अपना बहाते हो।
जब तुम उसको नहीं पसन्द———————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)