जब तक मन में अभिलाषा है
जीवन में सुख-दु:ख तब तक है
जब तक मन में अभिलाषा है
जो आया है इक दिन जाएगा
जीवन की यहीं परिभाषा है
क्या किसी छोटे से बच्चे को कभी चिंता करते देखा है
धर्म,जाति के चक्कर में क्या आपस में भिड़ते देखा है
ये सब तो है बड़ों की बातें उनकी रची कहानी है
चंद लोगों की बातों में आ चढ़ी हरेक जबानी है
एक दिन हर कोई समझेगा ऐसी हमको आशा है
जीवन में सुख-दु:ख तब तक है
जब तक मन में अभिलाषा है………..
औरों की उम्मीदों में खुद के सपने टूट गए
कुछ संगी-साथी आगे है कुछ पीछे छूट गए
संग-संग चलने की सोची थी लेकिन अब दूरी है
कुछ लोगों की सोच है ऐसी कुछ की मजबूरी है
वक्त के इस पहिए ने हम सबको ही फांसा है
जीवन में सुख-दु:ख तब तक है
जब तक मन में अभिलाषा है……….. ।।