जब तक अंधेरा ना छटे
जिंदगी तन्हाई की हों या मुश्किल की
जब तक अंधेरा ना छटे,
तब तक होती हैं काली रात
रहबर भी भटक जाते हैं ,
जब दर्दे गम की खड़ी होती हैं ,
सामने कायनात।।
नीतू साह
जिंदगी तन्हाई की हों या मुश्किल की
जब तक अंधेरा ना छटे,
तब तक होती हैं काली रात
रहबर भी भटक जाते हैं ,
जब दर्दे गम की खड़ी होती हैं ,
सामने कायनात।।
नीतू साह