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18 Apr 2021 · 1 min read

जब जागो तभी है सवेरा

जब जागो तभी है सवेरा
*********************

घेरा कौवों ने बनेरा,
छाया हर तरफ अंधेरा।

कहाँ,किसे,क्या-क्या सुनाएँ,
मन है स्वार्थों ने आ घेरा।

कोई सुनता ही नहीं है,
राग गाते मेरा मेरा।

सीख कोई काम न आई,
हर कोई काबिल बहुतेरा।

विशेषित चोपड़ी है खाता,
मार खाता वर्ग कमेरा।

कोई बुझे तो है जाने,
डाला संकटों ने है डेरा।

जब ढह जाती है मंजिलें,
कोई पाता नहीं फेरा।

मनसीरत संभल भी जाओ,
जब जागो तभी है सवेरा।
*********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
231 Views
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