जब जब तुम कहते हो “ये कठिन समय है ?”
जब जब तुम कहते हो “ये कठिन समय है ?”
तब तब मैं सोच में पड़ जाता हूँ
कठिन समय क्या होता है ?
कौन से वक्त को कहा जाना चाहिए सबसे कठिन?
जब कोई मुक्ति के कगार पर आ ललक रहा हो जीवन के लिए,
या जब कोई नवजात कर रहा होता अपनी मां के सूखे स्तनों से अपना गला तर करने की कोशिश जीवन के लिए।
कौन सा वक्त होता है कठिन?
किसी सद्य ब्याहता के सुहाग छिन जाने का या बरसों खिंच रही गृहस्थी की गाड़ी से एक पहिया अदृश्य हो जाने का ?
पिता का अपने हाथों बेटे की अर्थी सजाने का या बच्चों का जीते जी मां बाप को भूल जाने का ।
कौन सा वक्त……..
सबके साथ रहते हुए अकेला महसूस करना या अकेले होते हुए संग साथ को अहकना।
ऐसी ही न जाने कितनी ही बातें आंधी की तरह कौंधती है मन में,आँसुओं की फुहार ठंडा करती है सब ।
मुँह किनकिना जाता है रेत से ,सोंधी मिट्टी का स्वाद क्यूँ नही आता कठिन समय में ?
मेरा सबसे कठिन समय मेरी आँखों के खुलने और मन के धुलने तक है।