जब काँटों में फूल उगा देखा
जीवन में एक नई राह मिली
जब काँटों में फूल उगा देखा
जीवन में एक नई चाह दिखी
जब काँटो में फूल खिला देखा
ना उगता बबूल मरूस्थल में
तो कहाँ होता नीड़ परिंदो का
घायल की तड़प समझ आई
जब पाँव में सूल चुभा देखा
जंगल काँटो से है भरा पड़ा
पर कौन शिकायत करता है
हमको जब कष्ट मिला कोई
तो जीवन दुश्कर क्यों देखा
ये सच्च है कि इस जीवन में
सबको ही फूल नहीं मिलते
काँटो से जो कोई डरता है
उनके है गुलाब कहाँ देखा
स्वरचित
V9द चौहान