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3 Jul 2019 · 1 min read

जन-जन प्रिय रामम्

हे रामम् !
जन-जन प्रिय रंजन, नयन अभिरामम् ,
परात्पर परब्रह्म परमात्मन् प्रणामम् !
सत्-चित्-आनन्द घट-घट नामं
सर्वस्व सन्निहित त्वमसि प्राणं
दिव्य शौर्य अनन्त वर्धते उत्साहं ,
ध्यानं नित्यं रक्ष-रक्ष हे रामं ।
विक्षेप-उद्वेग द्वेष विरागं ,
ले हर संतापं हे वीतरागं !
ध्येये ध्यानं तत्तवमसि ध्यानं ,
तप-ओज-तेज संवाहक रामं ।
जन-जन संपोषक रघुवंशनाथं
भारतभूमि भयी वीरान अनाथं ,
संपीडित संकुचित धरा धामं ;
भयावहता बर्बर म्लेच्छक नामं ।
आपदामपहर्तारं दातारं ,
लोकाभिरामं शत्रु विदारं ;
ध्येये ध्यानं नित्यं ध्यानं ;
काल-कराल संहारक रामं ।
निर्वाक् हिमालयं अहो न गंगा उत्कर्षं ,
कम्पित-शोषित किम्स्थितं अद्य भारतवर्षं ,
भानित शौर्य उन्नत अथाह सुह्रद्हर्षं ;
विस्फोटित विध्वंसित ‘अरि ‘ विविध दुर्धर्षं ।
कुटिल द्रोही दस्यु विनाशनं
नमामि विश्वरूपम् पुण्यम् निदिध्यासनम् !
शत्रुहंता हे हरि , हर विविध विलापं ;
ध्येये ध्यानं नित्यं विशुद्धम् रामं !

✍? आलोक पाण्डेय
( वाराणसी,भारतभूमि )

हर हर महादेव

Language: Hindi
1 Like · 214 Views
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