जन गण मन से प्यार है
जन जन से प्यार है जन गण मन से प्यार है
मुझको तो अपने तिरंगे झंडे से प्यार है
हिमगिरि का मुकुट पहने दिखता है जिसमें ओज
सागर चरण पखारता है जिसके ही रोज रोज
मुझको तो अपने प्यारे भारत से प्यार है
मुझको तो अपने तिरंगे झंडे से प्यार है
गंगा सी मुक्तिदायिनी सलिला जहां बहे
पावन धरा यही है जहाँ राम थे रहे
मुझको तो मातृभूमि के कण-कण से प्यार है
मुझको तो अपने तिरंगे झंडे से प्यार है
कण-कण में जहाँ राम और कृष्ण बसे हैं
बारह जगह जहाँ भोले भगवान बसे हैं
उस देश में बहती हवाओं से प्यार है
मुझको तो अपने तिरंगे झंडे से प्यार है
सीमा पे खड़े राष्ट्र की रक्षा में जो जवान
जिनको है प्यारा देश नहीं प्यारे अपने प्रान
सीमा पे खड़े देश के हर प्रहरी से प्यार है
मुझको तो अपने तिरंगे झंडे से प्यार है
अशोक मिश्र