जन कवि
गीत उनके
गप्पबाजी हैं
नग्में उनके
लफ़्फ़ाज़ी हैं…
(१)
जो जनता के
काम न आएं
शायर वे सारे
बकवादी हैं…
(२)
कबीरा के
शागिर्द हम तो
दो टूक कहने
के आदी हैं…
(३)
जेल क्या है
हम सच के लिए
सूली चढ़ने
को राज़ी हैं…
(४)
ऐ नुक्ताचीनों,
अपनी नज़्में
बिल्कुल नई
और ताज़ी हैं…
(५)
हमें चाहेंगे
लोग वही
जिनके तेवर
इंकलाबी हैं…
(६)
दुहाई न दो
तहज़ीब की हमें
हम तो बचपन
से बागी हैं…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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