जन्म देने वाले…
जन्म देने वाले, तू इतना तो बोल रे,
कैसे चुकाऊँ इन, साँसों का मोल रे…
गर्भ में संभाला मुझे, माँ का सहारा बनकर,
सुध बुध नहीं थी तूने, सहा मेरा बोझ रे…
कैसे चुकाऊँ इन….
ज्यों ज्यों बढ़ा जीवन में, तूने फरिस्ता बनकर,
जीवन सुधारा मेरा, दिया मुझे बोध रे…
कैसे चुकाऊँ इन….
शिक्षित कराया और, शक्ति अपार देकर,
खुद को खपाया लेकिन, दिया मुझे ओज़ रे…
कैसे चुकाऊँ इन….
अपने ही दम से चलूँ, औरों को सहारा देकर,
सदा यही चाहा, कुछ मांगा नहीं और रे…
कैसे चुकाऊँ इन….
सब कुछ दिया है तूने, मुझे दातार बनकर,
मेरे शीश पर है तेरी, दुआ अनमोल रे…
कैसे चुकाऊँ इन….
-अशोक शर्मा
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