जन्म गाथा
आज तुम्हारे जन्म की गाथा का, व्याक्खान मैं तुमको सुनाता हूं।
क्या होता है जन्म का मतलब, आज तुम्हें समझाता हूं।।
सर्व प्रथम दुनिया में आने का एहसास, तुम्हारी मां ने ही महसूस किया था।
और वो सारा दिन मां ने, बिना पति के खाली तुझ संग कैसे जिया था।।
जल्द से जल्द वो यह खुशखबरी, बस तेरे पिता को बताना चाहती थी।
बार बार उसकी नज़रें,हर एक आवाज़ पर उठ कर दरवाज़े तक जाती थी।।
रात को जब वह घर पर पहुंचा,दौड़ कर उससे वो लिपट गई थी।
मारे खुशी के कुछ भी न बोली,बस अपने ही अंदर सिमट गई थी ।।
खाना खाने बैठे जब हम मिलकर,तब उसने यह एहसास दिलाया।
और तेरी उपस्तिथी दर्ज हो गई, यह तेरे पिता को उसने समझाया।।
दिन की अब शुरुआत दोनों की बस तेरे बारे में सोचकर ही होती थी।
सूची तेरे सामान की माता तेरे पिता को रोज ही पहले से भी लंबी देती थी।।
कैसे गुजरे ये नौ महीने इस समय का पता किसी को भी चल नहीं पाया।
और एक दिन तेरे पिता ने तेरी माता को नर्सिंग होम तक भी पहुंचाया।।
अगली सुबह फिर डॉक्टर साहिबा ने तेरे पिता को उनके घर से बुलवाया।
उनके आते ही डॉक्टर ने तेरी मम्मी को अंदर लिया और बताया पुत्र है आया।।
यह है गाथा हर बच्चे के जन्म की, विजय बिजनौरी यही बताता है।
फिर भी बेटे के जन्म का जश्न और बेटी के जन्म पर दुःख दर्शाया जाता है।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी