जन्माष्टमी का पैगाम
प्रेम की एक अलग परिभाषा के लिए
हर प्रेमी की जुबाँ पर आता है जिनका नाम
माँ के लाड में पुकार कर दुनिया याद करे
किसी नटखट नन्हे का नाम
कर्म की ऊँची शान है इस धरा पर
जीवन भर दिया जिसने ये पैगाम
फर्जो के सन्तुलन में आगे बढ़कर
इतिहास में दिया वास्तिवकता का प्रमाण
जिनके नाम से ही कष्ट मिटे एवम् आनन्द हो मन धाम
ऐसे कन्हैया को जन्माष्टमी पर इस लेखनी का शत शत प्रणाम ।