जन्मभूमि
बारिश की बूँदें गिरती हैं,
खेतों को सजाती हैं।
मिट्टी की खुशबू छाती है,
जन्मभूमि की महक बिखराती है।
पेड़-पौधों की छाया सुहावनी,
पक्षियों का गीत सुनाती है।
नदी की लहरें बहती हैं,
जन्मभूमि को निरंतर बहलाती हैं।
खेल-खिलौने बचपन के,
रंग-बिरंगे सपने लाती हैं।
मित्र-सखा, परिवार का प्यार,
जन्मभूमि का सौंदर्य बढ़ाती है।
हर कोने में उसकी मिठास है,
हर पल उसकी यादें बसती हैं।
जन्मभूमि, हमें गर्व है तेरे पर,
तू हमारी आत्मा को संजीवनी देती है।