जन्मपत्री
जिंदों की भी नहीं होनी चाहिए
मुर्दों की तो होती नहीं जन्मपत्री
जबकि जन्मपत्री वाले ही मुर्दा बनते हैं
ब्राह्मण-दिमाग की उपज होती है यह गंदगी
जो फैल पसर कर
हर कोटि के अंधविश्वासी मनुष्य को
मतांध बना जाती है
और करती होती है निरर्थक व अनर्थक हस्तक्षेप
उसकी ज़िंदगी के मरहले में।