जन्मदिवस है मेरा आया
मेरा जन्मदिवस है आया।
नहीं गुलाब नहीं गुलदस्ता, सजा नहीं है रस्ता- रस्ता।
मेरे गलियारे की रौनक से जन्नत की हालत खस्ता।
मैं तन्हा क्या क्या कर पाता, कैसे घर का द्वार सजाता?
अम्बर से तारे ले आता, तो भी ऐसा रचा न पाता।
लेकिन आप सभी ने आकर
मेरे दिल का नगर सजाया।
मेरा जन्मदिवस है आया।
एक चाँद अनगिनत सितारे, आकर्षक हैं सभी नज़ारे।
इन सबसे भी ज्यादा प्यारे, मुझको मेरे साथी सारे।
सपने को साकार किया है, दिन मेरा त्यौहार किया है।
समय दिया है प्यार दिया है, जो सबने उपहार दिया है।
आभारी है यह दिल सबका
भरसक प्यार सभी से पाया।
मेरा जन्मदिवस है आया।।
संजय नारायण