“जन्मदिन”
दुनियां में आते ही आसू छलके,
ये रीत निभाते हैं हर बरस।
कारण – अकारण, जानें – अनजाने,
ये नयन बरस जाते हैं हर बरस।
उम्र मेरी देती हैं तजुर्बों की दुहाई,
ये उम्मीद क्यों बहलाते है हर बरस।
अजब सा रिवाज़ बना है तेरे घर ओस,
जन्मदिन में रुलाते है हर बरस।।
ओसमणी साहू ‘ओश’ रायपुर (छत्तीसगढ़)