जन्नत और जहन्नुम की कौन फिक्र करता है
जन्नत और जहन्नुम की कौन फिक्र करता है
यही तो इंसान है जो दिल में आए करता है
मैं भी वही हूँ तुम भी वही वह भी वही है
हाथ भी जोड़ता है और पग-पग पे अकड़ता है
जन्नत और जहन्नुम की कौन फिक्र करता है
यही तो इंसान है जो दिल में आए करता है
मैं भी वही हूँ तुम भी वही वह भी वही है
हाथ भी जोड़ता है और पग-पग पे अकड़ता है