*जनसेवा अब शब्दकोश में फरमाती आराम है (गीतिका)*
जनसेवा अब शब्दकोश में फरमाती आराम है (गीतिका)
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(1)
जनसेवा अब शब्दकोश में, फरमाती आराम है
रिश्वतखोरी भ्रष्ट आचरण, राजनीति में आम है
( 2 )
मूर्ख बनाकर जैसे- तैसे, जनता को भरमाकर
वोट माँगना नेताओं का, पेशेवर- सा काम है
( 3 )
झूठ बोलकर जिसे नहीं, आ पाया वादे करना
राजनीति में निरा-निकम्मा, वह नेता नाकाम है
(4)
सबको कार्य न्यूनतम करना, है दफ्तर में आकर
हर दफ्तर में बिना घोषणा, समझो चक्का-जाम है
(5)
फाइल खुलती तो है लेकिन, कुछ चलकर रुक जाती
बिना रिश्वती-पहियों के, गाड़ी पर लगी लगाम है
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99956 15451