जनम जिसने दिया मुझको,पिलाकर दूध पाला है।
गज़ल
काफ़िया- आला की बंदिश
रद़ीफ- है।
1222………1222………1222……..1222
जनम जिसने दिया मुझको, पिलाकर दूध पाला है।
वही मंदिर वही मस्जिद, वो मां गिरजा शिवाला है।
करो पूजा करो सज़दा, न कोई मां सा पाओगे,
वही मथुरा वही काशी, वही जपने की माला है।
अगर भव पार करना है, तो मां का थाम लो दामन,
तजा है मां को जिसने भी, ये तय निकला दिवाला है।
करे जो मां की सेवा बाल बांका हो नहीं सकता,
वो मरकर भी गजानन सा, अमर ही होने वाला है।
रँगे हैं प्यार में मज़नू व लैला हीर रांझा भी,
अलग ही प्यार खिलता माँ का ऐसी रंगशाला है।
……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी