जनपथ ..
जनपथ..
जिस पर चलते हुए,
देश की जनता..
करती है तुम्हारा सम्मान,
क्योंकि एक गौरवशाली..
मर्यादित स्थान,
जिसपर राज कर गयीं..
न जाने कितनी,
महान हस्तियां..
सँवार कर देश का भविष्य,
तुमने खरीद कर..
भंग कर दी,
उसकी गरिमा..
मान सम्मान,
की आज लोकतंत्र का..
हर सच्चा सेवक,
तड़प तड़प कर ,
जीने को है मजबूर..
एक दिन ये लोकतंत्र,
निचोङ लेगा तुम्हारे जिस्म से,
बेईमानी का हर कतरा..
जब सत्ता तुम्हे,
निकाल फेंकेगी.
बिरयानी में पड़े,
तेजपत्ते की तरह..