– जनता है त्रस्त नेता है मस्त –
– जनता है त्रस्त नेता है मस्त –
पांच साल में एक बार,
आते है वो ईद के चांद,
बरसाती मेढ़क सी है जिनकी चाल,
नोट के बदले वोट ले जाते,
फिर कभी नही वे अपनी शक्ल दिखाते,
करते है वे पांच साल तक मौज,
जनता से किए वादे चुनाव जीतने पर जाते भूल,
चुनाव जीतना हो तब जनता है माई – बाप,
जितने के बाद जनता के बन जाते वे सरताज,
जनता होती जब त्रस्त तब नेता हो जाते है मस्त,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान