जनता की ख़ामोशी
देश और समाज की मुहब्बत से ख़ामोश है!
खुद्दारी और ज़मीर की गैरत से ख़ामोश है!!
यह जनता क्या तुम्हारी दहशत से ख़ामोश है!
कानून और व्यवस्था की इज़्ज़त से ख़ामोश है!!
देश और समाज की मुहब्बत से ख़ामोश है!
खुद्दारी और ज़मीर की गैरत से ख़ामोश है!!
यह जनता क्या तुम्हारी दहशत से ख़ामोश है!
कानून और व्यवस्था की इज़्ज़त से ख़ामोश है!!