जनक सुता
राजा जनक की प्रजा तडप रही,
जल बिन जीव सभी हुये बेहाल है
ऋषि,मुनि,मंत्रिजन सलाह ले रहे जनक
कैसे आयी विपदा कैसा ये काल है
राजा हल जोंते ये सहमति बन गई
घडे बीच निकली खेत सुकुमारी है
वर्षा जल की होने लगी ,हरषाये लोग
जनकपुर में फिर से आयी हरियाली है ।..१
सीता सुकुमारी नाम सुशोभित हुंई
विदेह कुमारी , वैदेही प्रचलित नाम है
शिक्षा,रूप,गुण सब मे सदा ही आगे
कर दिया मिथिला मे अतुलित काम है
शिवधनुष उठा लिया,जनक ने प्रण लिया
सीय स्वयंवर होगा धनुष जो तोडेगा
कर दिया श्री राम ने जनक जी का प्रण पूरा
अब जै जै सियाराम ,जनकपुर बोलेगा ।..२
जनक दुलारी आयी, अवध की रानी हुई
मंथरा कुमति से कैकेई मति भारी है
सियाराम संग लखन चले गये वन को
अवध का राज अब भरत को भारी है
लखन ने सूर्पनखा के नाक कान काट दिये
सीता का हरण तब रावण ने किया है
मिलि राम- सुग्रीव रावण का वध कियो
तब सियाराम जी ने, रामराज्य दिया है ।..३