जज़्बातों का खेल
जज़्बातों का खेल अजब है,
एक है शख्स पर नाम अलग है।
राधा के नन्दलाल सलोने,
लीलाधर और गोपीयो संग खेले।।1।।
रुक्मणी के थे कृष्ण अनोखे,
द्वारिकाधीश और दुष्टो संग खेले।
मीरा के गिरधर थे प्यारे,
विष को पी गए पीने वाले।।2।।
जज़्बातों का खेल गजब है,
एक है शख्स पर नाम अलग है।
सुदामा के थे सखा अलबेले,
चूडा खागये बिना ही तोले।।3।।
अर्जुन के थे केशव प्यारे,
धर्म सीखा गए गीता मे सारे।
चैतन्य के थे महाप्रभु निराले,
समा गए वो समाने वाले।।4।।
जज़्बातों का खेल अलग है,
एक है शख्स पर नाम अलग है।
सतयुग मे वामन बन आये,
तीन पग मे सृष्टि नाप वो जाए।।5।।
त्रेता मे मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए,
समुद्र के ऊपर सेतु बनवाए।
द्वापर मे वो मुरलीधर कहलाए,
बिना लड़े ही धर्मयुद्ध करवाए।।6।।
ललकार भारद्वाज