“जग स्तंभ सृष्टि है बिटिया “
यहाँ अजन्मी मर जाती है,
क्यों माँ कि कोख में बिटिया|
देवी का अनूप रुप है,
जग स्तंभ सृष्टि है बिटिया |
संस्कार धरोहर आन शान,
रीत प्रीत धन है बिटिया |
ईश्वर का अनुनय अनुराग है ,
रब कि अमानत है बिटिया|
मासूम कली है बाबुल की,
घर आँगन की किलकारी |
सुकुमारी राजदुलारी है,
हर बिटिया राजकुमारी|
बिटिया कन्या रुपी रत्न है,
जग में है सबसे प्यारी |
पढा लिखा कर उसे संवरना,
सबकी है जिम्मेदारी |
है लाड़ली सयानी बिटिया,
नव खुशियों की है धानी |
खेल-खिलौने टेड़ी बियर कि,
मेरी बिटिया दीवानी |
जग सिध्दि समृध्दी शांति क्रांति,
चन्द्रसूर्य बिटिया रानी |
तरणी हिम्मती करुणामयी,
जग जननी बिटिया रानी |
खेली कूदी बिटिया रानी,
बाबुल के घर आँगन में |
वो छोड़ चली बाबुल घर को,
बंध गया गठबंधन में |
ससुराल चली बिटिया मेरी,
मीठा कसक आज मन में |
है गुपचुप ना कोई आहट,
सूनापन है आँगन में |
उस घर को भी बिटिया तुम,
रीत प्रीत से महकाना |
सबकी यादें दिल में रखना,
पापा को भूल न जाना |
तुमको घर की याद सतायें,
तो तुम मिलने आ जाना |
वो मेरी शहजादी बिटिया ,
यूँ ही हँसना मुस्काना |
नज़रिया घिनौना सोच बदल,
अन्तर्मन को निर्मल कर |
माल लालीपाप नाम नहीं ,
फ़िल्मी स्टाईल बंद कर |
कुदृष्टि का सर्वनाश कर,
बेटियों का सम्मान कर |
बिटिया है पावन गंगा सी,
अब प्रण करले न मलिन कर |
रचनाकार :-दुष्यंत कुमार पटेल”चित्रांश”