*जग में होता मान उसी का, पैसा जिसके पास है (हिंदी गजल)*
जग में होता मान उसी का, पैसा जिसके पास है (हिंदी गजल)
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1)
जग में होता मान उसी का, पैसा जिसके पास है
यों तो रिश्तेदारी सबसे, पैसे वाला खास है
2)
वाह्य जगत में अभिनय करके, पाओगे भटकाव ही
मिलते हैं भगवान उसी को, जिसके भीतर प्यास है
3)
जिसने पाया परम-ब्रह्म को, मधुरिम जीवन धन्य वह
कभी न मिटने वाला उसमें, हर्ष और उल्लास है
4)
दुनिया के राजाओं से मैं, क्यों जाऊॅं धन मॉंगने
मुझे भरोसा राम-नाम पर, राम-नाम की आस है
5)
सिखलाते हनुमान हमें यह, ताकत पर न इतराओ
जग ने पूजा उसे हुआ जो, सियाराम का दास है
6)
ध्यान लगाओ खुद को ढूॅंंढो, मुक्ति मिलेगी देह से
फिर देखोगे भीतर-भीतर, छाने लगा उजास है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451