जग में अति पूजनीय माता पिता ..
जब संतान माता पिता की अवज्ञा करने लगे ,
और उनको खून का घूंट पीकर रहना पड़े ।
जब संतान माता पिता के समक्ष क्रोध करे ,
और उनको निरपराध होकर क्षमा मांगनी पड़े ।
जब माता पिता के कुछ समझाने से चिढ़ जाए,
तब माता पिता को खामोश रह जाना पड़े ।
तब समझो संतान का दुर्भाग्य प्रारंभ हो गया,
जब माता पिता को उसके जीवन से दूर जाना पड़े।
जिनके पास माता पिता होते उनको कद्र नहीं होती ,
पूछो उन अनाथों से जो जग की ठोकरों में है पड़े।
संतान का तो कर्तव्य है माता पिता की पूजा करना ,
यदि वो इनके समक्ष झुके तो उसे कहीं झुकना न पड़े ।
माता पिता के चरणों में स्वर्ग है देवता जिन्हें पूजें,
मातृ पितृ भक्त संतान हेतु मोक्ष के द्वार खुले पड़े।