जग महकाएँ
अंधकार हो,जिस पथ पर भी,चलो मिटाएँ
खण्ड खण्ड हो,तम का दर्प अब,दीप जलाएँ
अनपढ़ है,जब तक कोई भी,न बैठो तुम
आओ साथ में,मिलकर शिक्षा की,ज्योति जगाएँ
दूषित जल,दूषित भोजन है,दूषित मन
जागरूक हों,सबके अंतर्मन,युक्ति बताएँ
बिकेगा जल,पेट्रोल की तरह,प्यासे मरेंगे
जल का मूल्य,पहचान अभी से,इसे बचाएँ
वर्षा सिमटी,बरस के दो क्षण,सूखा है सब
अभी है मौका,कह दो सब जन,पेड़ लगाएँ
बेटी है एक,अनमोल रतन,समझो प्यारे
काम बाद में,सर्वप्रथम हम,बेटी पढ़ाएँ
भारत माँ को,गर्व हो हम पर,ऐसा कर दें
विश्वपटल,हो जाए सुशोभित,जग महकाएँ