जग के दोहे -५
【४१८-४२४】
लेकर जब प्रभु नाम से, दिन की हो शुरुआत ।
दूर होते विघ्न सभी, बन जाती हर बात ।।
मन के भीतर ही बसे, मंदिर के भगवान ।
मन अपना स्वच्छ रखिए,होगी फिर मुस्कान ।।
इधर – उधर देखों जहाँ, दिखता उनका रूप ।
सबके दिलों में बसता, प्रभु का ही स्वरूप ।।
तेरा ही है आसरा, ओ जग के करतार ।
सबके दुःख को हर कर, जल्द करो उद्धार ।।
दुनिया तुमको पूजती, जग के पालनहार ।
जग में घोर संकट है,आओ ले अवतार ।।
मोह माया से जकड़ा, सारा यह संसार ।
रिश्ते धूमिल हो रहे, टूट रहा परिवार ।।
माया है बड़ी ठगनी, लेती सदा दबोच ।
पहले देती है ख़ुशी, फिर हर लेती सोच ।।
——जेपीएल