“जगदलपुर”
“जगदलपुर”
अक्सर जगदलपुर शहर
मेरा दोस्त सा लगता है,
मेरे दुःख से
एकाकार होते हुए
मेरी पीड़ा की चादर
सिर से पाँव तक ओढ़कर
मेरी व्यथा बाँटने को
तत्पर हो उठता है।
“जगदलपुर”
अक्सर जगदलपुर शहर
मेरा दोस्त सा लगता है,
मेरे दुःख से
एकाकार होते हुए
मेरी पीड़ा की चादर
सिर से पाँव तक ओढ़कर
मेरी व्यथा बाँटने को
तत्पर हो उठता है।