जख्म भी रूठ गया है अबतो
जख्म भी रूठ गया है अबतो
धोखेबाजी पे उतर आया है
रूह में जगह दी,कभी कभार – तवज्जो दिया
फिर भी जेहन को कुतर आया है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
जख्म भी रूठ गया है अबतो
धोखेबाजी पे उतर आया है
रूह में जगह दी,कभी कभार – तवज्जो दिया
फिर भी जेहन को कुतर आया है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी