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10 Jun 2023 · 1 min read

जख्मों का हिसाब

कोई करता है खुल के इजहार ए मुहब्बत
तो इश्क की बात पे मुकरता है कोई
दिन गुजर जाता है चेहरे पे मुस्कान लिए
हर शाम जख्मों का हिसाब करता है कोई…

अंजाम मालूम होता है रांझे को फिर भी
इश्क आग के दरिया में उतरता है कोई
वो रखते नही इश्क इसलिए मेरी शायरी से
उन मुर्दा से दिलो में खून भरता है कोई…

कोई उदास हो जाता है किसी के नाम से ही
तो आसमां के सितारे देख निखरता है कोई
तुम बहाकर अश्कों को, संवर जाते हो
अंदर ही अंदर रोके बिखरता है कोई..

मेरे दिल को लगी है आदत मायूस रहने की
क्यों सुकून पाने से इतना डरता है कोई
पैसे व जिस्म पे मरने वाले तुझे कई मिलेंगे यार
खुश रहो, तेरी दोस्ती पे भी मरता है कोई…

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