Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 1 min read

जंगल

जंगल जाने का सफर
रंग बिरंगे पेड़ों के संग ।
आहत करती हवा भी
बता रही थी पग–पग ।।

आने वाली है बरसाते
समेट ली मैंने वो यादें ।
सूखे पत्तों पर बिखरी थी
उस मौसम की सारी बातें ।।

चहक रहा था सारा जंगल
पक्षी संग वो सारे डांगर ।
अनंत नभ को देख रहे थे
कब बरसेगें निर्मोही सागर ।।

कुछ के पग विचलित होते
मंजरी देख फिर संभलते।
कोमलता को पाकर फिर से
धीर हृदय से विचरण करते ।।

1 Like · 80 Views
Books from प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
View all

You may also like these posts

गरीबों की दीपावली
गरीबों की दीपावली
Uttirna Dhar
24/254. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/254. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गिल्ट
गिल्ट
आकांक्षा राय
शुभ दीपावली
शुभ दीपावली
Harsh Malviya
हम प्यार तुमसे कर सकते नहीं
हम प्यार तुमसे कर सकते नहीं
gurudeenverma198
वार्ता
वार्ता
Deepesh Dwivedi
दोहा -: कहें सुधीर कविराय
दोहा -: कहें सुधीर कविराय
Sudhir srivastava
sp,,94बात कोई भी नहीं भूलता
sp,,94बात कोई भी नहीं भूलता
Manoj Shrivastava
बुजुर्ग कहीं नहीं जाते ...( पितृ पक्ष अमावस्या विशेष )
बुजुर्ग कहीं नहीं जाते ...( पितृ पक्ष अमावस्या विशेष )
ओनिका सेतिया 'अनु '
"साधक के गुण"
Yogendra Chaturwedi
मैं तो ईमान की तरह मरा हूं कई दफा ,
मैं तो ईमान की तरह मरा हूं कई दफा ,
Manju sagar
"इश्क़ में वादा-खिलाफी आम बात है ll
पूर्वार्थ
तेरा मेरा.....एक मोह
तेरा मेरा.....एक मोह
Neeraj Agarwal
◆केवल बुद्धिजीवियों के लिए:-
◆केवल बुद्धिजीवियों के लिए:-
*प्रणय*
अर्जक
अर्जक
Mahender Singh
মা মনসার গান
মা মনসার গান
Arghyadeep Chakraborty
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
जिसने अपने जीवन में दर्द नहीं झेले उसने अपने जीवन में सुख भी
Rj Anand Prajapati
ना जाने कब किस मोड़ पे क्या होगा,
ना जाने कब किस मोड़ पे क्या होगा,
Ajit Kumar "Karn"
कविता
कविता
Nmita Sharma
लहरों पर चलता जीवन
लहरों पर चलता जीवन
मनोज कर्ण
प्रेम
प्रेम
Rambali Mishra
“MY YOGA TEACHER- 1957” (REMINISCENCES) {PARMANPUR DARSHAN }
“MY YOGA TEACHER- 1957” (REMINISCENCES) {PARMANPUR DARSHAN }
DrLakshman Jha Parimal
जख्म भी अब मुस्कुराने लगे हैं
जख्म भी अब मुस्कुराने लगे हैं
डॉ. एकान्त नेगी
समुद्रर से गेहरी लहरे मन में उटी हैं साहब
समुद्रर से गेहरी लहरे मन में उटी हैं साहब
Sampada
बदलाव जरूरी है
बदलाव जरूरी है
Padmaja Raghav Science
मेरी अंतरआत्मा थक गई
मेरी अंतरआत्मा थक गई
MUSKAAN YADAV
*पंचचामर छंद*
*पंचचामर छंद*
नवल किशोर सिंह
दिखाकर  स्वप्न  सुन्दर  एक  पल में  तोड़ जाते हो
दिखाकर स्वप्न सुन्दर एक पल में तोड़ जाते हो
Dr Archana Gupta
सिर्फ चुटकुले पढ़े जा रहे कविता के प्रति प्यार कहां है।
सिर्फ चुटकुले पढ़े जा रहे कविता के प्रति प्यार कहां है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
दुःख  से
दुःख से
Shweta Soni
Loading...