जंगल
जंगल जाने का सफर
रंग बिरंगे पेड़ों के संग ।
आहत करती हवा भी
बता रही थी पग–पग ।।
आने वाली है बरसाते
समेट ली मैंने वो यादें ।
सूखे पत्तों पर बिखरी थी
उस मौसम की सारी बातें ।।
चहक रहा था सारा जंगल
पक्षी संग वो सारे डांगर ।
अनंत नभ को देख रहे थे
कब बरसेगें निर्मोही सागर ।।
कुछ के पग विचलित होते
मंजरी देख फिर संभलते।
कोमलता को पाकर फिर से
धीर हृदय से विचरण करते ।।