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22 Feb 2024 · 1 min read

जंगल

जंगल जाने का सफर
रंग बिरंगे पेड़ों के संग ।
आहत करती हवा भी
बता रही थी पग–पग ।।

आने वाली है बरसाते
समेट ली मैंने वो यादें ।
सूखे पत्तों पर बिखरी थी
उस मौसम की सारी बातें ।।

चहक रहा था सारा जंगल
पक्षी संग वो सारे डांगर ।
अनंत नभ को देख रहे थे
कब बरसेगें निर्मोही सागर ।।

कुछ के पग विचलित होते
मंजरी देख फिर संभलते।
कोमलता को पाकर फिर से
धीर हृदय से विचरण करते ।।

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