जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे
ये खूबसूरत दृश्य आंखों से ओझल हो जाएंगे
जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे
आधुनिकता के इस खेल में बस पुर्जे ही रह जाएंगे
बारिश नहीं होगी ओर पंछियों के कलरव भी रूक जाएंगे
जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे