Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jun 2021 · 1 min read

जंगल का दृश्य ही अलग था !

जंगल का दृश्य ही अलग था !
***********************

कल एक ख़ास पल आया !
मुझे ऐसा कुछ याद आया !
जो मुझे जंगल में ले गया !
डर से पूरा तन सिहर गया !!

जंगल का दृश्य ही अलग था !
आग कुछ गया जो सुलग था !
हो गया बंद ये मेरा पलक था !
चहुॅंओर छिड़ गया इक बहस था !!

दिल में थोड़ी सी कसक थी !
जंगल में आग जो लगी थी !
पास-पड़ोस खाली ही पड़ी थी !
होश तो मेरी नहीं अब बची थी !!

एक ही पल में होश इतने उड़े !
हर दृश्य पर हुए कान मेरे खड़े !
न आए कोई भी दृश्य सुनहरे !
जल चुके थे जंगल सारे हरे-भरे !
जल चुके थे जंगल सारे हरे-भरे !!

स्वरचित एवं मौलिक ।

अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : २६/०६/२०२१.
“””””””””””””””””””””””””””””
????????

Language: Hindi
8 Likes · 418 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2867.*पूर्णिका*
2867.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*दुखड़ा कभी संसार में, अपना न रोना चाहिए【हिंदी गजल/गीतिका】*
*दुखड़ा कभी संसार में, अपना न रोना चाहिए【हिंदी गजल/गीतिका】*
Ravi Prakash
यदि आपका चरित्र और कर्म श्रेष्ठ हैं, तो भविष्य आपका गुलाम हो
यदि आपका चरित्र और कर्म श्रेष्ठ हैं, तो भविष्य आपका गुलाम हो
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
खंड 8
खंड 8
Rambali Mishra
चाबी घर की हो या दिल की
चाबी घर की हो या दिल की
शेखर सिंह
कई जीत बाकी है कई हार बाकी है, अभी तो जिंदगी का सार बाकी है।
कई जीत बाकी है कई हार बाकी है, अभी तो जिंदगी का सार बाकी है।
Vipin Singh
जगत का हिस्सा
जगत का हिस्सा
Harish Chandra Pande
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मेरी निगाहों मे किन गुहानों के निशां खोजते हों,
मेरी निगाहों मे किन गुहानों के निशां खोजते हों,
Vishal babu (vishu)
बड़े महंगे महगे किरदार है मेरे जिन्दगी में l
बड़े महंगे महगे किरदार है मेरे जिन्दगी में l
Ranjeet kumar patre
बहुत कुछ पढ़ लिया तो क्या ऋचाएं पढ़ के देखो।
बहुत कुछ पढ़ लिया तो क्या ऋचाएं पढ़ के देखो।
सत्य कुमार प्रेमी
I.N.D.I.A
I.N.D.I.A
Sanjay ' शून्य'
छोटी कहानी -
छोटी कहानी - "पानी और आसमान"
Dr Tabassum Jahan
गुलामी छोड़ दअ
गुलामी छोड़ दअ
Shekhar Chandra Mitra
तुम पर क्या लिखूँ ...
तुम पर क्या लिखूँ ...
Harminder Kaur
जिसनें जैसा चाहा वैसा अफसाना बना दिया
जिसनें जैसा चाहा वैसा अफसाना बना दिया
Sonu sugandh
मैंने, निज मत का दान किया;
मैंने, निज मत का दान किया;
पंकज कुमार कर्ण
किसी ने कहा- आरे वहां क्या बात है! लड़की हो तो ऐसी, दिल जीत
किसी ने कहा- आरे वहां क्या बात है! लड़की हो तो ऐसी, दिल जीत
जय लगन कुमार हैप्पी
"आत्म-निर्भरता"
*Author प्रणय प्रभात*
प्यार का यह सिलसिला चलता रहे।
प्यार का यह सिलसिला चलता रहे।
surenderpal vaidya
गाल बजाना ठीक नही है
गाल बजाना ठीक नही है
Vijay kumar Pandey
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
*वोट हमें बनवाना है।*
*वोट हमें बनवाना है।*
Dushyant Kumar
इश्क़ में
इश्क़ में
हिमांशु Kulshrestha
Dr Arun Kumar Shastri
Dr Arun Kumar Shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
******** रुख्सार से यूँ न खेला करे ***********
******** रुख्सार से यूँ न खेला करे ***********
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चाय
चाय
Dr. Seema Varma
प्यार में आलिंगन ही आकर्षण होता हैं।
प्यार में आलिंगन ही आकर्षण होता हैं।
Neeraj Agarwal
क्यों मानव मानव को डसता
क्यों मानव मानव को डसता
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
Loading...