छोड़ जाए जब कोई साथ
आज हमउम्र मौसेरा भाई दुर्घटना का शिकार हो कर सदा के लिए छोड़ गया साथ****नम आँखों से विदाई
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छोड़ जाए जब कोई साथ
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सीने में होता है दर्द,
झट से तपकतें हैं,
आँखों में आँसू बन झड़ी,
देह रह जाती है खड़ी की खड़ी,
जब कोई भी अपना,
जैसे टूटा हुआ सपना,
चला जाता है कोसों दूर,
जहाँ खत्म हो जाती हैं,
सारी की सारी उम्मीदें,
काम न आए कोई प्रयास,
टूट जाती हैं आस मुराद,
रह जाती हैं मात्र मन में,
विस्मरणीय खास यादें,
याद आते रहते हैं केवल,
उसके किये हुए वादे,
और वो दृढ़ संकल्प इरादे,
जो उसने कभी कहे थे,
लेकर नर्म हाथों में हाथ,
छोडूंगा न कभी तेरा साथ,
कभी नहीं जाऊँगा,
तेरी नज़रों से दूर,
नही होऊँगा मैं ओझल,
लेकिन देखिये अब जरा,
कुदरत का अजब रंग,
सुनकर मैं रह गया दंग,
हो गया मुख बदरंग,
जो था मानो तन का अंग,
अंगहीन कर के चला गया,
ईश्वर की गोद मे,
शान्ति की खोज में,
सो गया सदा के लिए,
गहरी निद्रा में लीन,
सारी खुशियाँ मुझ से छीन,
हो गया सदा के लिए लापता,
बगैर दिए कोई भावी पता,
बस दे रहा हूँ ,
जीवन भर के लिए विदाई,
सहने करने के लिए जुदाई,
मुख से निकलता केवल शब्द,
ओ मेरे प्यारे..नैनों के तारे,
शेष सब कुछ बस,
निशब्द…. निशब्द……।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)