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21 Jul 2018 · 1 min read

छोड़कर चमन को एक पँछी जहाँ से दूर …

श्रंद्धांजलि ????????

“महाकवि गोपालदास नीरज जी को समर्पित मेरी कविता”

छोड़कर चमन को एक पँछी जहाँ से दूर चला गया,
देकर लाख यादोँ को, हमें ग़मगीन कर गया ।

न खिलेगा फुल अब कविताओं का यहाँ,
वो गीत-ग़ज़लों का फ़साना, हमें संगीत दे गया ।

दिखेगा न मंच पर माहौल अब, सुकूँ दिल को देने वाला,
जमेगा न रंग महफ़िल का, वो अब बेरंग कर गया ।

यादें बीते लम्हों की समेटे भी सिमटती हैं,
हमें वो छोड़कर अकेला, दिलों में दर्द दे गया ।

कह गया जाने से पहले, विदा करना ख़ुश हो करके,
वो कहते-लिखते-गाकर के, हमें ख़ुशी से संदेश दे गया ।

छोड़कर चमन को एक पंछी जहाँ से दूर चला गया..
यूँ देकर लाख यादों को, हमें ग़मगीन कर गया ।।

आर एस बौद्ध “आघात”
8475001921

Language: Hindi
2 Likes · 202 Views
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