छोड़ दिए संस्कार पिता के, कुर्सी के पीछे दौड़ रहे
छोड़ दिए संस्कार पिता के, हिन्दुत्व बेचकर बैठा है
लड़ता रहते थे पिता जिनसे, साथ में उनके बैठा है
होना चाहिए साथ में जिनके, उन्हें छोड़कर बैठा है
घर न बचा सका खुद का, लुटा लुटाया बैठा है
लोकतंत्र में हिंसकता का,ले रखा है इनने ठेका है