छोड़ो कल की बातें ,
कल जो तिरंगा था,आज तीन रंग बन गए।
जोश के गीत गर्व से गाए ,वो आम हो गाए।।
मंच पर बैठे कल ,अतिथि वे अनजान हो गए।
बिक रहे थे झंडे जो ,सड़कों पर भार हो गए।।
देश के दमदार थे कल,आज कमजोर हो गए।
किस्से ,वादे कल के, आज के जंजाल हो गए।।
छोड़ो कल की बातें ,कल तो छुट्टी का था दिन।
मज़ा मस्ती है मन में, आज रविवार का है दिन।।