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17 Jun 2024 · 2 min read

छोटे भाई को चालीस साल बाद भी कुंडलियां कंठस्थ रहीं

छोटे भाई को चालीस साल बाद भी कुंडलियां कंठस्थ रहीं
★★★★★★★★★★★★★★★

“साहित्यिक मुरादाबाद” व्हाट्सएप समूह के माध्यम से पंडित मदन मोहन व्यास जी की रचनाधर्मिता का स्मरण करने के लिए एडमिन महोदय डॉक्टर मनोज रस्तोगी को साधुवाद। जब आपने 9 – 10 अप्रैल 2021 को व्हाट्सएप समूह पर मदन मोहन व्यास जी से संबंधित साहित्यिक सामग्री चर्चा के लिए प्रस्तुत की, तब उसी दौरान मदन मोहन जी के छोटे भाई श्री बृज गोपाल व्यास जी की एक वीडियो उनके पुत्र श्री राजीव व्यास जी ने रिकॉर्ड करके समूह में भेजी। इसमें बृज गोपाल जी अपने भाई मदन मोहन जी द्वारा लिखी गई कुंडलियों को याद कर करके सुनाते जा रहे हैं और स्वयं भी आनंद में डूबते हैं तथा श्रोताओं को भी हास्य के रस में सराबोर कर देते हैं। 40 वर्ष के बाद भी किसी को अपने भाई द्वारा लिखी हुई कुंडलियां स्मरण रहें, यह एक चमत्कार ही कहा जाएगा । अपनी लिखी हुई कुंडलियां तक तो किसी कवि को याद नहीं रहतीं। लेकिन निश्चय ही ब्रज गोपाल जी ने मनोयोग से यह कुंडलियां अपने भाई से सुनी होंगी। भाई ने सुनाई होंगी । पूरे उत्साह और उमंग के साथ इन पर बार-बार चिंतन मनन होता रहा होगा और यह सांसो में बस गई होंगी। तभी तो याद आती गईं। और ब्रज गोपाल जी कुंडलियों को सुनाते गए। कुंडलियां सुनाते समय आपका हाव-भाव देखते ही बनता था। क्या उत्साह था ! भाई का भाई के प्रति ऐसा प्रेम और अपनत्व तथा भाई की साहित्यिक रचनाओं को याद रखने का यह अद्भुत प्रसंग मेरे देखने में कहीं और नहीं आया । इस घटना से प्रेरित होकर मैंने यह कुंडलिया पंडित मदन मोहन व्यास जी के भाई पंडित ब्रज गोपाल व्यास जी की प्रशंसा में लिखी जो इस प्रकार है:-

भाई श्री ब्रज गोपाल व्यास(कुंडलिया)
———————————————–
भाई पर ऐसा चढ़ा , कुंडलिया का रंग
चार दशक बीते मगर ,यादों के हैं संग
यादों के हैं संग , याद कुंडलियाँ करते
होते स्वयं प्रसन्न ,हास्य जग में फिर भरते
कहते रवि कविराय,मदन शुभ किस्मत पाई
श्रीयुत ब्रज गोपाल ,व्यास-सम पाया भाई
डॉ मनोज रस्तोगी जी से फोन पर बातचीत के द्वारा यह ज्ञात हुआ कि ब्रज गोपाल जी संगीत के विद्वान हैं तथा दिल्ली और मुंबई की रामलीलाओं में पर्दे के पीछे रहकर रामचरितमानस का संगीतमय गान रामलीला के मध्य अनेक वर्षों तक करते रहे हैं । इस तरह वास्तव में आप भी स्वयं में एक विभूति हैं । आपको रामचरितमानस की अनेकानेक चौपाइयाँ कंठस्थ हैं। आपको भी आदर पूर्वक प्रणाम ।
——————————-
समीक्षक :रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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