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8 May 2024 · 1 min read

छोटे छोटे सपने

अपने छोटे छोटे सपने,
गांव गली में मिल जाते हैं।
उनको ही पाकर के सृजन,
मुरझाये दिल खिल जाते हैं।

इक छत, कपड़ा दो जोड़ी भर,
तीन जून का खाना।
इतनी ही मौलिक अभिलाषा
चाहूं नहीं खजाना।

हाय हवस दुखदायी होती,
देते बस संताप।
खोटे कर्म गिरा देते हैं,
करवाते हैं पाप।

सांझ सबेरे राम भजन हो,
बिखरे चहुं दिश कांति।
सब्र संतोष बढ़े खुब मन में,
उपजे अंदर शान्ति।

Language: Hindi
155 Views
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