छोटी सी आशा
छोटी सी आशा भी हो
गर इस छोटे से मन में पर
उसे पूरा करने के लिए
यत्न बड़े बड़े करने पड़ते हैं
एक कली
फूल बनने तक का सफर
करती है कैसे तय
यह तो वो ही जाने
किस दर्द की गली से होकर
गुजरती है
मुस्कुराहट भरे उसके लब देख
यह उसके दिल की गहराई की
व्यथा तो कोई न पहचाने
बंद दरवाजों,
बंद खिड़कियों के
घर से बाहर
पहुंचाती है अपनी खुशबुओं की
बयार कैसे
यह तो वो ही जाने
पतझड़ के पत्ता पत्ता टूटते बिखरते
खंडहरों में भी
बहारों के आगमन का इंतजार
एक सूखी फूलों की डाल सा सदियों तक करती है कैसे
यह तो वो ही जाने।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001