छोटी बुद्धि, छोटी सोच है
छोटी बुद्धि, छोटी सोच है, छोटे मन के विचार हैं
स्वर्ग नहीं, बैकुंठ नहीं, ये दुनिया संसार है
भूख नहीं मिटती है यहाँ पे, धन की हो या शोहरत की
लगती किताबी बाते हैं जो दया, धर्म या रहमत की
स्वार्थ की आंधी में जो पलते, सबमें ऐसे विकार हैं
काले मन हैं, सुन्दर तन हैं और ज़रूरत लाखों हैं
एक है लालच, एक है ईर्ष्या, भले ही सूरत लाखों हैं
एक उमर है, एक है जीवन पर इच्छाएं हज़ार हैं
रिश्ते जैसे कोई छलावा, नाते जैसे एक दिखावा
मीठी – मीठी बोली मन में
विष का पर भंडार है
आँख को खोलो रहो, सजग तुम,नहीं किसी पे यकीन करो
सौदा गर फायदे का हो तो
बिक जाता ऐतबार है
जो दिखता है वो बिकता है, नियम यहाँ का निराला है
जो रखता ईमान को ज़िंदा
उसका जीना दुश्वार है
श्रद्धा भी एक व्यापार है
सावधानी गर हटे जो पल में
दुर्घटना तब घटे है पल में
ईश्वर को भी ना छोड़ा जाता
श्रद्धा भी एक व्यापार है
कैसा चरित्र और क्या है पवित्र
इनकी तो कोई जगह नहीं
कपट, कुटिलता और छल के
दुर्गुणों की बस भरमार है
रोटी तो खाने को है पर
इसमें इच्छा भरती नहीं
सोना चांदी सबको चाहिए
ऐश की भी दरकार है
दीपाली कालरा