छोटी-छोटी जिन्दगी जीने की आदत है।
छोटी-छोटी जिन्दगी जीने की आदत है,
अरमानों की दौलत से लानत है मुझे।
मिले हर पल जो खुशी इबादत है ,
हो जाए प्रसन्नता की बरसात हिक़ारत है मुझे।
बूंँद-बूंँद से भरे जो घड़ा कबूल है,
झोली भर जाए सागर-सी खैरात की भूल है मुझे।
चुन-चुन कर मोतियांँ पिरोने का साहस है,
लूटा हुआ मिले हार अपनाना क़यामत है मुझे।
बाँट दूँ अपने हिस्से की खुशी सुकून है,
अपनी खुशी पाने को बेचैन रहुंँ है नहीं खुमार मुझे।
कर सकू ज़रा भी मदद ऐसे ताकत है,
संपन्नता का मिले अहंकार न कोई चाहत है मुझे।
छोटी छोटी जिन्दगी जीने की आदत है,
अरमानों की दौलत से लानत है मुझे।
रचनाकार-
✍🏼✍🏼
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।